Tuesday, November 26, 2019

देवी



देवी, बुरा ना मानना,
अगर मैं कहूँ तुम्ही मेरी कहानी हो,
तुम्ही मेरे जीवन की रवानी हो,
मेरे लिए तुम्ही हवा धुप और पानी हो,
इससे आगे और क्या कहूँ -
तुम्ही मेरे जीवन की स्वामिनी हो।

देवी, क्षमा करना मुझे,
अगर बुरा लगा हो मैंने जो कहा,
अगर नहीं जानतीं, मैंने अब तक क्या क्या सहा,
अगर नहीं मानतीं, वही अपना है अपने लिए जिसका आंसू बहा है।
अगर यह मेरी मूर्खता है, मैं भावनाओं में जो बहा,
मैं खुश हूँ, मैं बुद्धिहीन जो रहा।

देवी, सोचना समझना फिर कभी,
आज कुछ जान लो मेरी व्यथा,
आज कहने दो मुझे अपनी कथा.
पैर नंगे कंकड़ों पर चलता रहा हूँ,
वस्त्र चीर चीर हैं कंटकों में उलझता रहा हूँ,
देह का आभास नहीं, आत्म रक्षण के लिए महकता रहा हूँ,
इन्ही बीहड़ों में चलते चलते,
जब से सोचा तुम्हें, अपना समझता रहा हूँ।

देवी, मैं भी कभी एक फूल था,
मुस्कराता, महकता चहकता एक जनून था,
देह में बहता हुआ तप्त खून था।
किन्तु काली कोई टकराई नहीं,
मेरे जोश में भरमाई नहीं,
मैं तरसता ही रहा अनजान था,
मुझे तुम्हारे ही मन में बसने का अरमान था।

देवी, युग बीत गए हैं तुम्हारी तलाश में,
किन्तु मेरा सूरज तो अभी उगा है,
सो रहा था बालपन जो अभी अभी जगा है।
कुछ तुम धरा के ऊपर उठो, कुछ मैं उतरूं आसमान से,
हाँ क्षितिज के रही नहीं, हम बादल बने हैं उफान से।
विश्व को नव संरचना दें, पारस्परिक प्रणाम से,
चलो साथ मेरे, इस प्रभात के सुर गान से। 

 

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