सांस का जो भोग है
निष्ठां इसका उपयोग है।
लक्ष्य इसका निर्धारित है -
उच्च मानवी आराधना, कर्मयोग की साधना।
यदि कभी मैं भटक जाऊँ,
संसार मोह में अटक जाऊँ।
तुम मुझको याद दिला देना,
उच्च मानवी आराधना, कर्मयोग की साधना।
कर्म का विधान हो,
निष्ठां का वरदान हो।
ज्ञानयोग इसकी आत्मा,
उच्च मानवी आराधना, कर्मयोग की साधना।
ज्ञान केवल मार्ग है,
कर्म ही मुकाम है।
परिणाम कुछ भी हो मगर,
उच्च मानवी आराधना, कर्मयोग की साधना।
परिणाम बस परिधान है
जब ज्ञान प्रबल मान है।
स्वयं जागृत हो जाती,
उच्च मानवी आराधना, कर्मयोग की साधना।
परिणाम यदि प्रतिकूल है
निष्ठां नहीं अनुकूल है।
ध्यान का संकेन्द्रण,
उच्च मानवी आराधना, कर्मयोग की साधना।
कर्म ही जीवन का प्राण है,
इसकी गुणता परिणाम है।
ध्यानयोग से सबल होती,
उच्च मानवी आराधना, कर्मयोग की साधना।
ध्यानयोग का अर्थ यही,
कोई अन्य विचार नहीं।
इसका ही प्रभाव है,
उच्च मानवी आराधना, कर्मयोग की साधना ।
निज कर्म की धारणा,
आत्म-विश्वास की उपासना
इसीलिये महान है,
उच्च मानवी आराधना, कर्मयोग की साधना।
गीता का उपदेश यह
हृषिकेश द्वारा ज्ञान यह
जो युद्ध क्षेत्र में दिया -
उच्च मानवी आराधना, कर्मयोग की साधना।
हरिष्केष विष्णु के पिता,
भारत के राजा निर्मिता।
निष्काम कर्म उपदेश उनका
उच्च मानवी आराधना, कर्मयोग की साधना।
गीता खलनायक कृष्ण,
हरी भी छलिया भी कृष्ण,
उसने किया सदा विरोध,
उच्च मानवी आराधना, कर्मयोग की साधना।
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