बसंत अपने यौवन पर है
सुबह का समय है
सूरज बाँह पसारने को है
मेरा उपवन महक रहा है
चिड़ियों से चहक रहा है
दे रहा हूँ पौधों को पानी
अपने शब्द और वाणी
पूछता हुआ हाल उनके
बहुत याद आ रही तुम,
बार बार तिनके तिनके
अँगूर लता बौरा रही है
हरियाले वस्त्रों में लिपटी हुई
मधुर भविष्य की कल्पना में
जैसे तुम खो जाती हो अल्पना में
लाज के आँचल में सिमटी हुई
नरगिस के फूलों की लालिमा
चुराए है तुम्हारे पांवों की आलता
पास ही हैं महकती वेला के झुरमुट
श्वेत पुष्प जैसे तुम्हारी पाजेब के घुँघरू
अन्जीर का पौधा सयाना हो गया है
बड़े-बड़े पत्तों के बीच छिपा रखे हैं
नन्हे नन्हे कच्चे फल
तुम भी तो अपने आँचल में छिपाये रखती हो
मचलाते झूमते कर्ण-कुण्डल
आलू बुखारा अपने यौवन पर है
हज़ारों फलों से भरा हुआ
जो अभी कच्चे हैं
इनके पकते ही टोलियाँ आने लगेंगी
गाँव में जो भी बच्चे हैं
करतीं तुम भी मेरे साथ यदि
प्रतीक्षा इनके पकने की
चाहत में इनके चखने की
तो कितना अच्छा लगता
तो बगीचा कितना फबता
लोकाट का पौधा अभी बच्चा है
अपने हाथ उठाये कहता सा लगता है
माँ, उठालो मुझे गोदी में
बिना तुम्हारे यह भी मुझे ही सुनना पड़ता है
पर्वती जंगल से लाया था बीज कुछ के
एक पौधे पर झलक रहे हैं बसन्ती फूल
याद आईं तुम, जब पहने थे स्वर्ण झुमके
हरियाले परिधान में, तुम गयीं क्या भूल
तेजी से बढ़ रहे विशाल पौधे पर
पकने लगे हैं मधुर शहतूत
तुम्हारे अधरों जैसे
कुछ में खटास भी है
जैसे कोई अश्रु रिस आया हो अधरों तक
गुलनार पूरी बहार पर है
लदा हुआ नारंगी फूलों से
धरती पर भी बिखेर रखे हैं अनेकों फूल
कहीं मिट्टी ना छू जाये तुम्हारे पांवों को
बड़ी मुश्किल से पाल रहा हूँ
आठ पौधे जैतून के
ये भी पक्के हैं अपनी धुन के
फल देंगे तभी झूमके
जब आकर रहोगी तुम, पास इनके
कमल ताल में इस बार बहार नहीं आयी है
बार बार पूछता है मुझसे -
क्यों आँखों में मेरी रुसवाई है
बताओ तुम्ही, क्या उत्तर दूँ इस नादान को
कैसे कहूँ अभी तैयार नहीं हो तुम एहसान को
English Translation by the Poet
You capture my Mind, on my visit to Garden
English Translation by the Poet
You capture my Mind, on my visit to Garden
On Seeing the Garden, You come to my Mind
The Spring is at its best surprise
Morning time, The Sun is about to
rise
My Garden spreading fragrance
Chirping with birds elegance
I am watering plants of choice
And using my words and voice
For asking them their well-being
Missing you very much, my Darling!
*
Grapevine is in fluorescence,
Robed in green brilliance
Imagining sweet grapes tomorrow
Hidden in between leaves furrow
Like the sweetest sips
From kissing your lips
*
Redness of Narcissus flowers
Stolen from your ornamented feet
Nearby white Jasmine flowers
fragment
Remind me of ringing ornaments in
your feet
*
Fig plant is grown-up now
Hiding unripe tiny fruits under
big leaves
Like you keep your inviting ear
ornaments
Behind your headgear sheet
*
Plum tree is at its best
Laden with thousands of fruits still
unripe
As these come to ripen
Children come to the garden
If you too were here with me
Fruits would be ripening best
How nice that would have been
How fabulous the garden would
have felt
*
Peach plant is still a child
Appears saying to you with raised
hands
Mom, lift me up to your lap
Without you, I am to listen even
this trend
*
Some seeds brought from hills
during showers
One plant grown has deep yellow
flowers
Remind me of you wearing golden ear
ornaments
Along with your green garments
*
On a fast growing large plant
Mulberry fruits are ripening fast
Sweet like your lips, some fruits
still sour
Like a tear drop traversing to
your lips core
*
Male Pomegranate is in full fluorescence
Laden with sharp orange flowers
with no seed
Scattering many flowers on the
ground
Not to allow mud to touch your
feet
*
Rearing with care and difficulty
Eights plants of Olive vowed to
come to fruition
Only when you come to live with
them
And make them learn lessons in
tuition
*
This year, Lotus pond has no
flowers
Asking me again and again, why my
eyes are so sad
Tell me please, what answer I
give to this innocent
How I say that you are still not
prepared
***
No comments:
Post a Comment
PLEASE COMMENT ON THE POST AND FOLLOW THE BLOG